Saturday, 18 August 2018

गुरुद्वारा पंजा साहिब: जहां गुरु नानक देव जी ने पंजे से रोक दी थी चट्टान



पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा पंजा साहिब
सिख समुदाय के तीर्थ स्थल देश में ही नहीं, विदेश में भी हैं. यहां जो गुरुद्वारे हैं, उनसे गुरु साहेबानों का कोई न कोई रिश्ता जरूर रहा है. इन गुरुद्वारों के इतिहास से कई कहानियां जुड़ी हुई हैं, जो कम ही लोग जानते हैं. इन्हीं में से एक है पाकिस्तान में स्थित गुरुद्वारा पंजा साहिब का इतिहास. इस गुरुद्वारे का नाम तो लोगों ने बहुत सुना होगा लेकिन शायद इसके इतिहास से अछूते ही होंगे. तो चलिए आपको बताते हैं गुरु नानक देव जी से जुड़े गुरुद्वारा पंजा साहिब के इतिहास के बारे में:

यहां से हुई शुरूआत
सिखों के पवित्र तीर्थों में पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा पंजा साहिब का नाम सबसे ऊपर रखा जाता है. रावलपिंडी से 48 किमी दूर यह जगह है. कहते हैं कि एक बार गुरु नानक देव जी अपनी यात्रा के दौरान रावलपिंडी के हसन अब्दाल नामक जगह पर रुके थे. वहां वली कंधारी नाम का एक व्यक्ति रहता था, जो बहुत अभिमानी और लालची था. उसके घर के पास एक छोटा सा झरना बहता था. जो भी शख्स वहां पानी भरने आता, उससे वह पैसे लिया करता था. गुरु नानक देव जी के चेहरे पर चंद्रमा समान तेज था और जब वह वहां पहुंचे तो उन्हें देख लोग वहां इकट्ठे हो गए.

गुरु जी से जलने लगा था वली कंधारी
गुरु नानक देव जी ने लोगों से कहा कि ईश्वर सिर्फ एक है. हम सब उन्हें अलग-अलग नामों से पुकारते हैं. गुरु जी की ऐसी ही शिक्षाओं से प्रभावित होकर बड़ी संख्या में लोग रोजाना उनके पास आने लगे. उनकी सेवा करने लगे. उनके शिष्यों में हिंदू और मुस्लिम दोनों शामिल थे. चूंकि वली कंधारी भी मुस्लिम धर्मगुरु था, सो उसे गुरु नानक देव जी की लोकप्रियता से जलन होने लगी. उसने लोगों को पानी देने से इंकार कर दिया. कहा, जाओ अपने गुरु नानक से पानी मांगो. यह बात सुन लोग परेशान हो गए, क्योंकि वह झरना ही पानी का एकमात्र स्त्रोत था. लोग मिन्नतें करते रहे, पर उसने एक न सुनी.

भाई मर्दाना पहुंचे वली कंधारी के पास
लोगों ने गुरु नानक देव जी के सामने अपना दर्द बयां किया. गुरु जी ने सभी से शांत रहने के लिए कहा और जल्द ही इसका समाधान निकालने का आश्वासन दिया. गुरु जी ने अपने शिष्य भाई मर्दाना को वली कंधारी के पास भेजकर लोगों को पानी देने का आग्रह किया, लेकिन उसने फिर मना कर दिया. भाई मर्दाना वापस गुरु जी के पास लौट आए. वली कंधारी के मना करने के बावजूद गुरु जी ने दो बार और भाई मर्दाना को उसके पास भेजा, लेकिन उसने हर बार पानी देने से इंकार किया.

जमीन में छड़ी मारकर निकाला पानी
लोग प्यास की वजह से बुरी तरह तड़पने लगे थे. लोगों की इस स्थिति को देखते हुए गुरु जी ने जमीन पर छड़ी मारी और एक छोटा सा छेद कर दिया जिसमें से अचानक तेज पानी की धारा बाहर निकली. लोगों के चेहरे पर खुशी आ गई, लेकिन वली कंधारी यह देख आग बबूला हो गया. उसने गुरु जी को मारने का प्रण लिया.

फेंका चट्टान समान पत्थर, नानक जी ने पंजे से हवा में रोक दिया

एक दिन गुरु जी ध्यान में थे, तभी वली कंधारी ने पहाड़ के ऊपर से एक विशाल पत्थर को गुरु नानक देव जी पर फेंका. पत्थर नीचे आता देख आसपास मौजूद लोगों ने नानक जी को वहां से भागने को कहा, लेकिन नानक जी ने उन्हें हौंसला रखने को कहा और वहां से नहीं हटे. जब पत्थर हवा में गुरु जी की तरफ आ रहा था तब अचानक गुरु जी ने अपना पंजा उठाया और वह पत्थर वहीं हवा में रुक गया. यह सब देख लोग और वली कंधारी बहुत हैरान हुए. वली कंधारी को अहसास हुआ कि सचमुच गुरु नानक में दिव्य शक्तियां हैं और वह माफी मांगता हुआ नानक जी के पास पहुंच गया. कंधारी ने लोगों को मुफ्त में पानी देने का वादा किया. आज उसी जगह पर गुरुद्वारा पंजा साहिब स्थित है और आज भी गुरुद्वारे में वह पत्थर मौजूद है, जिसे गुरु नानक देव ने अपने हाथ (पंजे) से रोका था. यही वजह है कि इस गुरुद्वारे का नाम 'पंजा साहिब' पड़ा.

गुरु जी की यात्राएं
अपने जीवनकाल के दौरान, गुरु नानक देव जी ने कई दूर-दूर के स्थानों कई यात्राएं की. उन्होंने लोगों को संदेश दिया कि ईश्वर एक है. उन्होंने अधिकांश यात्राएं पैदल पूरी की जिसमें उनका साथ भाई मर्दाना ने दिया.  गुरु जी की 5 प्रमुख यात्राएं हैं जिसमें उन्होंने पूर्व, पश्चिम, दक्षिण और उत्तर का पैदल सफर तय किया. उन्होंने सभी धर्मों के कई महत्वपूर्ण स्थानों – हिंदू, इस्लाम, बौद्ध, जैन आदि का दौरा किया. उन्होंने सिलोन (श्रीलंका), बगदाद, मक्का, दक्षिण पश्चिम चीन, मिस्र, सऊदी अरब, नेपाल, तिब्बत, कजाखस्तान, इजराइल, सीरिया और अन्य स्थानों की यात्राएं की. जैसा की आप जानते हैं कि गुरु जी ने अपने जीवनकाल में कई दूर-दराज स्थानों की यात्राएं की और इन यात्राओं के दौरान ही लोगों के लिए कई चमत्कार किए. इसके चलते उनके साथ कई कहानियां जुड़ गई जिसमें से पंजा साहिब की कहानी भी एक है.


वर्तमान में गुरुद्वारे में क्या क्या है
पंजा साहिब में मौजूद पत्थर जिस पर गुरु नानक देव जी
के पंजे का निशान आज भी है।
यदि गुरुद्वारा श्री पंजा साहिब की वर्तमान स्थिति की बात करें तो यहां आज भी वह पत्थर मौजूद हैं जिस गुरु नानक देव जी ने अपने पंजे से हवा में रोक दिया था. इसके साथ ही उस पत्थर पर गुरु नानक देव जी की हथेली के निशान आज भी हैं. यहां भी 24 घंटे चलने वाली लंगर व्यवस्था है और सरोवर भी है जहां संगतें आकर स्नान करती हैं.

यहां के सालाना बड़े आयोजन
पंजा साहिब में गुरु नानक जयंती के मौके पर पाकिस्तान के अलावा हिंदुस्तान से बहुत बड़ी संख्या में संगतें आती हैं. इसके अलावा प्रत्येक गुरु पर्व और शहीदी दिवस पर यहां विशेष समागमों का आयोजन किया जाता है. इन आयोजनों में प्रत्येक वर्ष 2 से 3 हजार हिंदुस्तानी संगतें होती हैं और कई मौकों पर इनकी संख्या और ज्यादा बढ़ जाती है.


Monday, 21 May 2018

जनाब...प्यार दिल नहीं, 'दिमाग दा मामला है'

लव में जरूर कोई न कोई कैमिकल लोचा तो है, यूं ही थोड़ी न कोई प्यार में अनेकों फीलिंग लिए घूमता है। आज तक हमने सिर्फ यही सुना है कि प्यार दिलों में बसता है लेकिन साइंस के अनुसार प्यार दिलों में नहीं बल्कि दिमाग में बसता है। साइंस के अनुसार जब कोई लड़का और लड़की एक-दूसरे को देखते हैं तो उनमें दोस्ती करने के लिए भावनाओं में उत्सुकता आ जाती है और इस उत्सुकता के चलते दिमाग में जिन कैमिकल का रिसाव होता है, वही प्यार की कैमिस्ट्री बनाते हैं। यह एक नहीं बल्कि अनेक तरह के होते हैं। साइंस कहती है कि अट्रैक्शन के वक्त, बोंडिंग के वक्त, प्रेमी की याद के वक्त और लड़ाई-झगड़े के वक्त अलग-अलग हार्मोंन्स दिमाग में रिसाव करते हैं। यह सभी हार्मोंन्स हमारे शरीर में होते हैं लेकिन यह काम सिर्फ तब ही करते हैं जब आप किसी के संग प्यार में पड़ते हैं। तो आईये जानते हैं प्यार के पड़ाव और अलग-अलग पड़ाव पर दो प्रेमियों के बीच काम करने वाले हार्मोंन्स के बारे में- 


जब बजे दिल की घंटी तो समझो डोपामिन का हुआ रिसाव
अक्सर आपने कई लड़कों को यह कहते सुना होगा कि 'यार उस लड़की को देखकर तो मेरे दिल की घंटियां बज गई'। अब सोचने की बात यह है कि दिल की घंटियां हैं क्या और यह कैसे बजती है। दरअसल जब आप किसी ऐसी लड़की या लड़के को देखते हो जिसे देखकर आपकी धड़कने जोर से धड़कने लगती हैं या यूं कह लो की दिल में घंटियां बजने लगती हैं तो दिमाग में डोपामिन नामक हार्मोंन का रिसाव
होता है। यह रिसाव तभी होता है जब आपको कोई लड़की बेहद पसंद आती है और आप उससे दोस्ती करने के लिए उत्सुक रहते हैं। साइंस कहती है कि किसी को देखकर आपके दिमाग में डोपामिन का रिसाव जितना अधिक होगा, अट्रैक्शन भी उतनी ही बढ़ती जाएगी। तो यह जान लीजिए की जब दिल में घंटियां बजें तो समझ जाना कि दिमाग में डोपामिन का रिसाव होना शुरू हो गया है। 

अच्छी बोंडिंग बनाने के लिए यह है जरूरी
सोसायटी फॉर अल्जाईमर एंड ऐजिंग रिसर्च के जनरल सेक्रेटरी डॉ़ विकास धिकव बताते हैं कि आपकी स्ट्रोंग अट्रैक्शन के बाद जब दोस्ती हो जाती है तो बात आती है स्ट्रोंग बोंडिंग बनाने की। वह बताते हैं कि साइंस के मुताबिक जब हम स्ट्रोंक बोंडिंग बनाने के लिए आगे आते हैं तो दिमाग में ऑक्सीटोसिन का प्रवाह होता है। यह दिमाग की पिटयूट्री ग्रंथी से निकलता है। उदाहरण के लिए जब किसी बच्चे का जन्म होता है तो उसे मां के शरीर से ऑक्सीटोसिन मिलता है इसलिए बच्चा मां से दूर नहीं रह पाता। उस बच्चे की अपनी मां से स्ट्रोंग बोंडिंग हो जाती है और वह मां की गोद में आकर अपने आप को बेहद महफूज समझता है। यही कारण है कि ऑक्सीटोसिन स्ट्रोंग बोंडिंग का काम करता है। ये भी कह सकते हैं कि ऑक्सीटोसिन का रिसाव बोंडिंग का सिग्नल है। 

सिरोटोनिन लेवल कम होने पर आती है महबूब की याद
आपकी अट्रैक्शन हो गई, अच्छी बोंडिंग भी हो गई, घूमना-फिरना, शॉपिंग ये सब चीज हो गई। दोस्ती को एक-दो साल भी हो गए और अब कई बार स्थिति ऐसी आ जाती है कि आप अपने प्रेमी को लेकर काफी चिंतिंत हो जाते हो। अगर कभी वह फोन न उठाए तो उसे बार-बार फोन करना, हर दो से पांच मिनट बाद मैसेज करना। हमेशा उसी के ख्यालों में खोए रहना और हर पल उसकी याद आना। हर वक्त यह सोचना कि कहीं वह मुझे छोड़ न दे। यह सब तब होता है जब आपके दिमाग से सिरोटोनिन लेवल कम हो जाता है। जब आपके दिमाग में केवल यही ख्याल आए कि लड़की सिर्फ मेरे कहे अनुसार या मेरे हिसाब से चले तो समझ लीजिए कि आपका सिरोटोनिन लेवल कम हो चुका है।

इस हार्मोन की वजह से होते हैं लड़ाई-झगड़े
डॉ़ धिकव का कहना है कि जब प्रेमी जोड़े में आपस में लड़ाई-झगड़ा शुरू हो जाए तो इसका मतलब है कि उसके दिमाग में एड्रनलीन और नॉरएड्रनलीन हार्मोंन्स का रिसाव शुरू हो गया है। मान लीजिए कभी प्रेमिका अपने प्रेमी के मैसेज का रिप्लाई न करे या उसका फोन न उठाए तो प्रेमी गुस्से से भर जाता है और दोनों में लड़ाई-झगड़ा शुरू हो जाता है। जिस वक्त प्रेमी गुस्से में हो तो समझो कि उसके दिमाग में एड्रनलीन और नॉरएड्रनलीन हार्मोंन्स रिसने शुरू हो गए हैं। अपनी प्रेमिका के प्रति ज्यादा चिंतिंत होते हुए वह बिना सोचे-समझे गुस्सा होने लगता है। यह सभी हार्मोंन केवल तभी काम करते हैं जब आप प्रेम में होते हैं। अन्यथा यह हार्मोंन काम नहीं करते। 

प्रेमी फ्रंटल इनेक्टिविटी से भी हो जाते हैं प्रभावित
यह तो आपने सुना ही होगा कि प्यार में प्रेमी सब कुछ भूल जाते हैं और सभी फैसले दिमाग की जब दिल से लेते हैं। साइंस की भाषा में इस स्थिति को फ्रंटल इनेक्टिविटी कहा जाता है। इसके तहत प्रेमी दिमाग से बाधित और ह्दय से प्रवाहित हो जाते हैं। वह सभी फैसले दिमाग की जगह दिल से लेने लगते हैं और इस वजह से उनके निर्णय लेने की क्षमता काफी कम हो जाती है। इसके साथ ही साइंस यह भी कहता है कि आमतौर पर पुरुष दिमाग और महिला दिल से फैसले लेती है जबकि प्यार में स्थिति उलट हो जाती है। प्यार में पुरुष दिल से और महिलाएं दिमाग से निर्णय लेना शुरू कर देती हैं। 

प्यार में 'बॉडी का सिपाही' भी हो जाता है कमजोर
डॉ़ धिकव का कहना है कि साइंस में अमेग्डला को बॉडी का सिपाही कहा जाता है। यह दिमाग में होता है और इसमें कई तरह के हार्मोंन्स होते हैं। वास्तव में यह हमें डराने का काम करता है। मान लीजिए कि किसी व्यक्ति को पानी से डर लगता है, उसके दिमाग से अगर अमेग्डला को निकाल दिया जाए तो उसका सारा डर खत्म हो जाता है। प्रेम की स्थिति में यह आग में घी का काम करता है। प्यार में अक्सर लड़का-लड़की बिना किसी खौफ के घर से भाग जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रेम की स्थिति में अमेग्डला कमजोर हो जाता है और डर खत्म हो जाता है। इसके कमजोर होने यानि की डर खत्म होने की वजह से प्रेमी घर से भागने की हिम्मत करते हैं। साइंस कहता है कि प्यार के स्ट्रोंग फीलिंग के चलते अमेग्डला कमजोर हो जाता है। 

वेसोप्रेसिन हार्मोंन करवाता है कमिटमेंट
अट्रैक्शन हो गई, बोंडिंग हो गई लड़ाई-झगड़े भी हो गए लेकिन प्यार अभी भी बरकार है। अब बात आती है कमिटमेंट यानि वादे की। वादा हमेशा साथ रहने का, वादा शादी का, वादा हर उतार-चढ़ाव में साथ देने का लेकिन क्या कभी सोचा है कि यह कमिटमेंट करवाता कौन है। नहीं न, दरअसल हमारे दिमाग में वेसोप्रेसिन नामक एक हार्मोंन होता है जो हमें वादा करने के लिए प्रोत्साहित करता है। इसी हार्मोंन के रिसाव के चलते हम किसी व्यक्ति से किसी चीज को लेकर कोई वादा करते हैं। इसके साथ ही आखिर में यह भी बता दें कि दिमाग में रिसने वाला ऑक्सीटोसिन इमोशनल बोंडिंग बनाने के लिए सबसे जरूरी है। साइंस कहती है कि प्रेम के दौरान बीच-बीच में ऑक्सीटोसिन का आना बेहद जरूरी है। 

Friday, 16 February 2018

मोहब्ब्त को अय्याशी का नाम न दीजिए जनाब...




दिल्ली जहां एक तरफ दिलवालों के लिए जानी जाती है वहीं दिल्ली को धरोहरों का शहर भी कहा जाता है। दिल्ली में इन धरोहरों का निर्माण अपना शासन कायम करने और धाक जमाने के लिए किया गया था लेकिन बदलते समय के साथ-साथ यह धरोहरें मोहब्बत के दीवानों के नाम हो गई। जिस किले या मकबरे का निर्माण सुल्तान की पहचान और उसका वर्चस्व कायम रखने को हुआ था, आज वहां लव बर्ड्स बाहों में बाहें डाल अपने प्यार का इजहार करते नजर आते हैं। फिर चाहे बात लोधी गार्डन की हो, पुराने किले की हो या फिर हुमायुं के मकबरे की, सभी दिशाओं में इनका ही बोलबाला नजर आता है। भले ही इन्हें इन इमारतों का इतिहास न पता हो लेकिन यहां के रास्ते यह बखूबी जानते हैं। वैसे भी जनाब प्यार में किसी का इतिहास जानने की जरुरत थोड़ी न पड़ती है। इन ऐतिहासिक इमारतों पर प्रेमी युगल खुद अपने प्यार का इतिहास रच रहे हैं। बदलते समय के साथ एक बदलाव यह भी आया है कि यह लव बर्ड्स दिल्ली के बदनाम पार्कों में जाना छोड़कर इन इमारतों को अपने प्यार का साक्षी बना रहे हैं। तभी तो यह कहते हैं कि 'हमने मोहब्बत की है अय्याशी नहीं'। आज तो वैसे भी वेलेंटाइन डे है यानि प्यार दिवस और इस दिन यहां आने वालों की संख्या में दोगुना इजाफा हो जाता है। आईये जानते हैं दिल्ली की कुछ ऐसी ऐतिहासिक इमारतों को जहां युवा अपने प्रेम की कहानी लिख रहे हैं। 
 
लोधी गार्डन: बेस्ट लवर प्वाइंट
लोधी गार्डन को दिल्ली का सबसे बेस्ट लवर प्वाइंट माना जाता है। चूंकि यह एनडीएमसी एरिया में पड़ता है इसलिए इसकी खूबसूरती और दोगुनी है। लोधी गार्डन को एक स्टेंडर्ड लव डेस्टिनेशन भी माना जाने लगा है और यही कारण है कि यहां आने वाले प्रेमी जोड़ों की संख्या बढ़ रही है। इसमें बने मकबरे, मस्जिद और पीछे की ओर बनी झील एक अलग एहसास करवाती हैं। भले ही यहां से मेट्रो स्टेशन थोड़ी दूरी पर है लेकिन प्रेमियों के लिए दूरी मायने नहीं रखती। वह किसी न किसी तरीके यहां तक पहुंच ही जाते हैं। 90 एकड़ में बने इस गार्डन में मोहम्मद शाह और सिकंदर लोधी मकबरे के साथ-साथ शीशा गुंबद और बारा गुंबद भी बना हुआ है। इसके अलावा प्रेमियों के बैठने और खाने-पीने के लिए यहां विशेष प्रबंध है।    


पुराना किला: छुप-छुपकर प्यार करने की जगह
पुराने किले का इतिहास क्या है इस बात को लव बर्ड्स नहीं जानते लेकिन यहां घूमना-फिरना बहुत अच्छे से जानते हैं। गर्मी हो या सर्दी यहां प्रेमियों का तांता लगा रहा है। इनके प्यार का परवान पारे पर भी भारी पड़ने लगता है। लोधी गार्डन में एंट्री फ्री है लेकिन पुराना किला जाने के लिए 10 से 15 रूपये की टिकट लेनी पड़ती है। इस किले की गिरती दीवारों को प्रेमियों का प्रेम मजबूती प्रदान करने की जी-तोड़ मेहनत कर रहा है। इसके साथ ही यह इनके लिए फोटो खिंचवाने की भी बेस्ट जगह है। 

हौज खाज विलेज: लव और पार्टी का कॉकटेल
हौज खाज विलेज को लव और पार्टी के लिए सबसे बेहतर माना जाता है इसलिए यहां आने वाले युवाओं की संख्या भी काफी ज्यादा है। साउथ कैंपस के पास होने की वजह से यहां आने वालों में ज्यादातर कॉलेज स्टूडेंट्स हैं। डियर पार्क से होते हुए हौज खाज किले की तरफ पहुंचते हैं। इसके बीच में बनी झील और उसके चारों तरफ बने किले, मकबरे और मदरसों की दीवारों पर हर वक्त प्रेमी जोड़ों को बैठे हुए देखा जा सकता है। यह लव बर्ड्स इस जगह को इसलिए भी पसंद करते हैं क्योंकि यहां तक पहुंचने का रास्ता मेट्रो से जुड़ा हुआ है। फिर चाहे आप दिल्ली के किसी भी कोने में क्यों न हों।

सफदरजंग टोम्ब: ठीक-ठाक लवर स्पॉट
लौधी गार्डन से थोड़ी दूरी पर बना सफदरजंग टोम्ब भी प्रेमियों कुछ अड्डों मे से एक हें। इसमें ज्यादा तो नहीं लेकिन हां, दिन में आठ-दस प्रेमी जोड़े तो आ ही जाते हैं। यहां यह लोग इसलिए भी नहीं आते क्योंकि यहां एंट्री की टिकट लगती है जबकि लोधी गार्डन और हौज खाज में एंट्री फ्री है। इसके पास ही सरोजनी नगर मार्केट भी है जहां से शॉपिंग करते हुए प्रेमी जोड़े यहां प्यार जताने आ जाते हैं। आज भी यहां कई जोड़े आयेंगे और वेलेंटाइन डे मनायेंगे। 


हुमायुं टोम्ब: खूबसूरत और फोटोजेनिक वेलेंटाइन स्पॉट
हुमायुं टोम्ब की खूबसूरती का दीदार करने के लिए यहां भी रोजाना कई प्रेमी जोड़े आते हैं। इसके साथ ही यह जगह फोटो के हिसाब से भी बेहद अच्छी है। इसे दिल्ली की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक माना जाता है। यूं तो यह एक मकबरा है लेकिन इस मकबरे पर भी मोहब्बत की अनेकों कहानियां लिखी जा रही हैं। आज के दिन यहां दोगुनी संख्या में युवा आते हैं। 

गुरुद्वारा पंजा साहिब: जहां गुरु नानक देव जी ने पंजे से रोक दी थी चट्टान

पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा पंजा साहिब सिख समुदाय के तीर्थ स्थल देश में ही नहीं, विदेश में भी हैं. यहां जो गुरुद्वारे हैं, उनसे गुरु...