Monday, 21 May 2018

जनाब...प्यार दिल नहीं, 'दिमाग दा मामला है'

लव में जरूर कोई न कोई कैमिकल लोचा तो है, यूं ही थोड़ी न कोई प्यार में अनेकों फीलिंग लिए घूमता है। आज तक हमने सिर्फ यही सुना है कि प्यार दिलों में बसता है लेकिन साइंस के अनुसार प्यार दिलों में नहीं बल्कि दिमाग में बसता है। साइंस के अनुसार जब कोई लड़का और लड़की एक-दूसरे को देखते हैं तो उनमें दोस्ती करने के लिए भावनाओं में उत्सुकता आ जाती है और इस उत्सुकता के चलते दिमाग में जिन कैमिकल का रिसाव होता है, वही प्यार की कैमिस्ट्री बनाते हैं। यह एक नहीं बल्कि अनेक तरह के होते हैं। साइंस कहती है कि अट्रैक्शन के वक्त, बोंडिंग के वक्त, प्रेमी की याद के वक्त और लड़ाई-झगड़े के वक्त अलग-अलग हार्मोंन्स दिमाग में रिसाव करते हैं। यह सभी हार्मोंन्स हमारे शरीर में होते हैं लेकिन यह काम सिर्फ तब ही करते हैं जब आप किसी के संग प्यार में पड़ते हैं। तो आईये जानते हैं प्यार के पड़ाव और अलग-अलग पड़ाव पर दो प्रेमियों के बीच काम करने वाले हार्मोंन्स के बारे में- 


जब बजे दिल की घंटी तो समझो डोपामिन का हुआ रिसाव
अक्सर आपने कई लड़कों को यह कहते सुना होगा कि 'यार उस लड़की को देखकर तो मेरे दिल की घंटियां बज गई'। अब सोचने की बात यह है कि दिल की घंटियां हैं क्या और यह कैसे बजती है। दरअसल जब आप किसी ऐसी लड़की या लड़के को देखते हो जिसे देखकर आपकी धड़कने जोर से धड़कने लगती हैं या यूं कह लो की दिल में घंटियां बजने लगती हैं तो दिमाग में डोपामिन नामक हार्मोंन का रिसाव
होता है। यह रिसाव तभी होता है जब आपको कोई लड़की बेहद पसंद आती है और आप उससे दोस्ती करने के लिए उत्सुक रहते हैं। साइंस कहती है कि किसी को देखकर आपके दिमाग में डोपामिन का रिसाव जितना अधिक होगा, अट्रैक्शन भी उतनी ही बढ़ती जाएगी। तो यह जान लीजिए की जब दिल में घंटियां बजें तो समझ जाना कि दिमाग में डोपामिन का रिसाव होना शुरू हो गया है। 

अच्छी बोंडिंग बनाने के लिए यह है जरूरी
सोसायटी फॉर अल्जाईमर एंड ऐजिंग रिसर्च के जनरल सेक्रेटरी डॉ़ विकास धिकव बताते हैं कि आपकी स्ट्रोंग अट्रैक्शन के बाद जब दोस्ती हो जाती है तो बात आती है स्ट्रोंग बोंडिंग बनाने की। वह बताते हैं कि साइंस के मुताबिक जब हम स्ट्रोंक बोंडिंग बनाने के लिए आगे आते हैं तो दिमाग में ऑक्सीटोसिन का प्रवाह होता है। यह दिमाग की पिटयूट्री ग्रंथी से निकलता है। उदाहरण के लिए जब किसी बच्चे का जन्म होता है तो उसे मां के शरीर से ऑक्सीटोसिन मिलता है इसलिए बच्चा मां से दूर नहीं रह पाता। उस बच्चे की अपनी मां से स्ट्रोंग बोंडिंग हो जाती है और वह मां की गोद में आकर अपने आप को बेहद महफूज समझता है। यही कारण है कि ऑक्सीटोसिन स्ट्रोंग बोंडिंग का काम करता है। ये भी कह सकते हैं कि ऑक्सीटोसिन का रिसाव बोंडिंग का सिग्नल है। 

सिरोटोनिन लेवल कम होने पर आती है महबूब की याद
आपकी अट्रैक्शन हो गई, अच्छी बोंडिंग भी हो गई, घूमना-फिरना, शॉपिंग ये सब चीज हो गई। दोस्ती को एक-दो साल भी हो गए और अब कई बार स्थिति ऐसी आ जाती है कि आप अपने प्रेमी को लेकर काफी चिंतिंत हो जाते हो। अगर कभी वह फोन न उठाए तो उसे बार-बार फोन करना, हर दो से पांच मिनट बाद मैसेज करना। हमेशा उसी के ख्यालों में खोए रहना और हर पल उसकी याद आना। हर वक्त यह सोचना कि कहीं वह मुझे छोड़ न दे। यह सब तब होता है जब आपके दिमाग से सिरोटोनिन लेवल कम हो जाता है। जब आपके दिमाग में केवल यही ख्याल आए कि लड़की सिर्फ मेरे कहे अनुसार या मेरे हिसाब से चले तो समझ लीजिए कि आपका सिरोटोनिन लेवल कम हो चुका है।

इस हार्मोन की वजह से होते हैं लड़ाई-झगड़े
डॉ़ धिकव का कहना है कि जब प्रेमी जोड़े में आपस में लड़ाई-झगड़ा शुरू हो जाए तो इसका मतलब है कि उसके दिमाग में एड्रनलीन और नॉरएड्रनलीन हार्मोंन्स का रिसाव शुरू हो गया है। मान लीजिए कभी प्रेमिका अपने प्रेमी के मैसेज का रिप्लाई न करे या उसका फोन न उठाए तो प्रेमी गुस्से से भर जाता है और दोनों में लड़ाई-झगड़ा शुरू हो जाता है। जिस वक्त प्रेमी गुस्से में हो तो समझो कि उसके दिमाग में एड्रनलीन और नॉरएड्रनलीन हार्मोंन्स रिसने शुरू हो गए हैं। अपनी प्रेमिका के प्रति ज्यादा चिंतिंत होते हुए वह बिना सोचे-समझे गुस्सा होने लगता है। यह सभी हार्मोंन केवल तभी काम करते हैं जब आप प्रेम में होते हैं। अन्यथा यह हार्मोंन काम नहीं करते। 

प्रेमी फ्रंटल इनेक्टिविटी से भी हो जाते हैं प्रभावित
यह तो आपने सुना ही होगा कि प्यार में प्रेमी सब कुछ भूल जाते हैं और सभी फैसले दिमाग की जब दिल से लेते हैं। साइंस की भाषा में इस स्थिति को फ्रंटल इनेक्टिविटी कहा जाता है। इसके तहत प्रेमी दिमाग से बाधित और ह्दय से प्रवाहित हो जाते हैं। वह सभी फैसले दिमाग की जगह दिल से लेने लगते हैं और इस वजह से उनके निर्णय लेने की क्षमता काफी कम हो जाती है। इसके साथ ही साइंस यह भी कहता है कि आमतौर पर पुरुष दिमाग और महिला दिल से फैसले लेती है जबकि प्यार में स्थिति उलट हो जाती है। प्यार में पुरुष दिल से और महिलाएं दिमाग से निर्णय लेना शुरू कर देती हैं। 

प्यार में 'बॉडी का सिपाही' भी हो जाता है कमजोर
डॉ़ धिकव का कहना है कि साइंस में अमेग्डला को बॉडी का सिपाही कहा जाता है। यह दिमाग में होता है और इसमें कई तरह के हार्मोंन्स होते हैं। वास्तव में यह हमें डराने का काम करता है। मान लीजिए कि किसी व्यक्ति को पानी से डर लगता है, उसके दिमाग से अगर अमेग्डला को निकाल दिया जाए तो उसका सारा डर खत्म हो जाता है। प्रेम की स्थिति में यह आग में घी का काम करता है। प्यार में अक्सर लड़का-लड़की बिना किसी खौफ के घर से भाग जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रेम की स्थिति में अमेग्डला कमजोर हो जाता है और डर खत्म हो जाता है। इसके कमजोर होने यानि की डर खत्म होने की वजह से प्रेमी घर से भागने की हिम्मत करते हैं। साइंस कहता है कि प्यार के स्ट्रोंग फीलिंग के चलते अमेग्डला कमजोर हो जाता है। 

वेसोप्रेसिन हार्मोंन करवाता है कमिटमेंट
अट्रैक्शन हो गई, बोंडिंग हो गई लड़ाई-झगड़े भी हो गए लेकिन प्यार अभी भी बरकार है। अब बात आती है कमिटमेंट यानि वादे की। वादा हमेशा साथ रहने का, वादा शादी का, वादा हर उतार-चढ़ाव में साथ देने का लेकिन क्या कभी सोचा है कि यह कमिटमेंट करवाता कौन है। नहीं न, दरअसल हमारे दिमाग में वेसोप्रेसिन नामक एक हार्मोंन होता है जो हमें वादा करने के लिए प्रोत्साहित करता है। इसी हार्मोंन के रिसाव के चलते हम किसी व्यक्ति से किसी चीज को लेकर कोई वादा करते हैं। इसके साथ ही आखिर में यह भी बता दें कि दिमाग में रिसने वाला ऑक्सीटोसिन इमोशनल बोंडिंग बनाने के लिए सबसे जरूरी है। साइंस कहती है कि प्रेम के दौरान बीच-बीच में ऑक्सीटोसिन का आना बेहद जरूरी है। 

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